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राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य प्रशांत मिश्रा ने की भगवताचार्य देवकी नंदन ठाकुर जी से मुलाकात

गौ संरक्षण को लेकर की चर्चा

कोरबा/कटघोरा । कटघोरा नगर में तलवानिया बंसल परिवार द्वारा पितृमोक्ष गया श्राद्ध पर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रसिद्ध भगवताचार्य देवकी नंदन ठाकुर जी के श्रीमुख से कथा का वाचन किया जा रहा है। इस अवसर पर आज तलवानिया निवास पर छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य प्रशांत मिश्रा ने महाराज देवकी नंदन ठाकुर जी से सौजन्य मुलाकात की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। मुलाकात के दौरान आचार्य श्री देवकी नंदन ठाकुर जी द्वारा सड़को पर बैठे मवेशियों को लेकर चिंता जाहिर की उन्होंने छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा गौ संरक्षण के लिए गौठान की योजना की तारीफ की। छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग सदस्य ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में गौठान की व्यवस्था की गई है। सड़को पर बैठे मवेशियों को लेकर सरकार के द्वारा ग्राम सचिव की ड्यूटी इस पर लगाई गई है। जो भी मवेशी आवारा घूम रहे है उन्हें व्यवस्थित तरीके से गोठानों में रखना निर्देश जारी किए गए है। गौ संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा पशु पालकों को आर्थिक रूप से सुदृढ बनाने गोबर खरीदी योजना का संचालन किया जा रहा है। जिससे ग्रामीण गोबर बेच कर पशुओं को चारा खिला पा रहे हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ में दुर्घटनाग्रस्त गौ वंश, बीमार गौ वंशो की रक्षा के लिए ऑनलाइन एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की गई है। जिसमे 1962 पर तत्काल फोन करने पर सुविधा प्राप्त हो सकेगी। आचार्य श्री देवकी नंदन ठाकुर जी ने इन सब बातों को सुनकर कहा की इस दिशा में और कार्य करने की जरूरत है।

आज जब दुनिया के बहुत से देश अपनी संस्कृति को भुलाते जा रहे हैं और भारतीय संस्कृति हजारों वर्षों के संघर्ष के बाद भी कायम है तो इसके मूल में कहीं न कहीं गाय है। गाय हमारी संस्कृति की प्राण है, चेतना है। प्राचीन काल से ही गाय भारतीय संस्कृति व परंपरा का मूलाधार रही है। गंगा, गोमती, गीता, गोविंद की भांति शास्त्रों में गाय भी अत्यंत पवित्र मानी गई है। गोपालन व गौ-सेवा तथा गोदान की हमारी संस्कृति में महान परंपरा रही है। गौ-सेवा भी सुख व समृद्धि का एक मार्ग है। वेद-पुराण, स्मृतियां सभी गो-सेवा की उत्कृष्टता से ओत-प्रोत हैं। भारतीय संस्कृति के अनुसार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थों का साधन भी गौमाता ही रही हैं। दरअसल भारत की संस्कृति मूल रूप से गौ-संस्कृति कही जाती है। गाय श्रद्धा के साथ-साथ हमारी अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य एवं संस्कृति का प्रमुख आधार है। छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के सदस्य प्रशांत मिश्रा के साथ उनके प्रतिनिधि सुरेश गुप्ता, आशुतोष शर्मा व पत्रकार शशिकान्त डिक्सेना ने भी आचार्य देवकी नन्दन ठाकुर जी का आशीर्वाद लिया।।

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