इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने साझा की ओपन बुक एग्जाम से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां
0 मौजूदा सत्र में सीबीएसई 9 वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों हेतु ट्रायल के रूप में ओपन बुक एग्जाम कराने पर कर रही विचार-डॉ संजय गुप्ता।
0 ओपन बुक एग्जाम स्टूडेंट के क्रिटिकल थिंकिंग, प्रोबलम सॉल्विंग स्किल, एनालिटिकल थिंकिंग और कॉन्सेप्ट क्लीयर होने का देती है सबूत-डॉ संजय गुप्ता
0 ओपन बुक एग्जाम विद्यार्थियों के रटने की नहीं अपितु समझने की क्षमता का है एक अच्छा माध्यम – डॉ संजय गुप्ता।
दीपका (न्यूज वाला)। ओपन बुक एग्जाम में, छात्रों को परीक्षा के दौरान अपनी किताबों और नोट्स का उपयोग करके प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं. प्रश्न आमतौर पर विश्लेषणात्मक (Analytical) और समस्या-समाधान (Problem Solving) पर आधारित होते हैं, जिसके लिए छात्रों को कॉन्सेप्ट को समझने और उनका प्रैक्टिकल उपयोग करने की आवश्यकता होती है।
ओपन बुक एग्जाम के तहत छात्र परीक्षा के दौरान अपनी किताबें, नोट्स या अन्य किसी स्टडी मटेरियल का इस्तेमाल कर सकेंगे, यानी, छात्र एग्जाम में पूछे गए सवालों के जवाब किताब और नोट्स से ढूंढकर लिख सकते हैं।ओपन बुक परीक्षा में छात्रों को परीक्षा के दौरान किताबों और नोट्स का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है। इसका उद्देश्य रटने की बजाय अवधारणाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित करना है।ओपन बुक परीक्षा में छात्रों को परीक्षा के दौरान अपने नोट्स, पाठ्यपुस्तकें या दूसरी अध्ययन सामग्री ले जाने और उन्हें देखने की अनुमति होती है। इस पायलट कार्यक्रम का उद्देश्य एक सटीक मूल्यांकन करना है। इन परीक्षाओं को पूरा करने और फीडबैक इकट्ठा करने में छात्रों को लगने वाले समय को बारीकी से समझा जाएगा।
*इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने* बताया कि मौजूदा सत्र (2023- 24)में यदि संभव हो तो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीबीएसई के द्वारा ट्रायल के रूप में कक्षा 9वी एवं 10वीं के विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान तथा 11वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी ,गणित ,जीव विज्ञान सहित कुछ विषयों के लिए ओपन बुक एग्जाम परीक्षा पैटर्न लागू किया जाएगा। ओपन बुक एग्जाम अर्थात एक ऐसी परीक्षा प्रणाली जिसमें विद्यार्थी अपने साथ नोटबुक बुक्स, स्टडी मैटेरियल्स इत्यादि साथ में लेकर बैठकर अपने अनुसार प्रश्नों के उत्तर लिखता है। इसका मतलब यह नहीं की विद्यार्थी हूबहू परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का जवाब पुस्तक में लिखे गए शब्दों या वाक्य को ही जैसा का तैसा ही छापेगा या लिखेगा, बल्कि विद्यार्थी पूछे गए प्रश्नों के उत्तर पुस्तकों में से ढूंढकर या पढ़कर अपने अकॉर्डिंग अपने शब्दों में या अपने वाक्यों में लिखने का प्रयास करेगा। इस परीक्षा प्रणाली से नकल पर आश्रित छात्रों को खुशी अवश्य होगी क्योंकि उन्हें नकल के पर्चे बनाने में से आजादी मिल जाएगी, लेकिन थोड़ी सी मायूसी इस बात को भी लेकर उन्हें हो सकती है कि नकल के रूप में हूबहू प्रश्नों के उत्तर छापने पर उन्हें अंक नहीं दिया जाएगा ,अर्थात बुकिश वर्ड पर अंक नहीं दिया जाएगा, अपितु कॉन्सेप्ट बेस्डआंसर लिखने पर ही प्रश्नों के उत्तर में उनको अंक दिए जाएंगे अर्थात किताब में लिखी गई जानकारी को अपनी भाषा में उन्हें लिखना होगा।
क्लोज बुक एग्जाम में जहां एक तरफ विद्यार्थियों के याद करने की या स्मरण रखने की क्षमता वा समझने की क्षमता का आकलन किया जाता है वहीं क्लोज बुक एग्जाम में विद्यार्थियों की थिंकिंग, क्रिटिकल थिंकिंग ,प्रोबलम सॉल्विंग स्किल एनालिटिकल थिंकिंग ,कांसेप्ट क्लियर एबिलिटी सहित विभिन्न तथ्यों का आकलन किया जाता है। यह एक दृष्टिकोण से विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद भी है वहीं टीचर्स के लिए चैलेंजिंग भी है क्योंकि उन्हें कांसेप्चुअल क्वेश्चन बनाने होंगे अर्थात प्रश्न बनाने से पहले शिक्षक को स्वयं कई बुक्स को बड़ी गहराई से पढ़कर समझना होगा और उतनी ही गहराई वाले प्रश्न बनाने होंगे। अर्थात यह एक दृष्टिकोण से शिक्षकों के लिए भी स्वयं एक इम्तिहान से काम नहीं होगा इससे क्वालिटी टीचर्स हमें देखने को मिलेंगे ,वहीं क्वालिटी स्टूडेंट भी हमारे सामने निखर कर आएंगे। ओपन बुक एग्जाम करने का यही कांसेप्ट है कि छात्र किसी भी तथ्य को रेट नहीं बल्कि समझे। परीक्षा के प्रति तनाव को काम करना भी इसका एक उद्देश्य है। प्रश्न का उत्तर यदि किताब में दी गई जानकारी के आधार पर विद्यार्थी अपने शब्दों में लिखता है तो उसे ओपन बुक एग्जाम परीक्षा प्रणाली में नंबर मिलता है ।इससे विद्यार्थी नकल से आजाद हो जाता है। वह कॉन्सेप्ट बेस्ड आंसर ही लिखने का प्रयास करें क्योंकि उसको अंक भी उसी में मिलेंगे।
उदाहरण के तौर पर यदि वाष्पीकरण की परिभाषा क्लोज-बू एक्जाम में पूछी जाएगी तो बच्चे रट कर उसका जवाब अवश्य लिखेंगे लेकिन ओपन बुक एग्जाम में इसी प्रश्न को इस तरह से पूछा जा सकता है कि कीचड़ मैं वशीकरण की प्रक्रिया कैसे होती है तो इसका जवाब विद्यार्थी समझ कर लिखेगा खाने का तात्पर्य है कि विद्यार्थी विषय को गहराई से समझेगा ओपन बुक एग्जाम यदि सीबीएसई के द्वारा करने का विचार किया जा रहा है तो इसका हिडन बॉटम लाइन आइडिया यही है कि विद्यार्थियों को एग्जाम के लिए स्ट्रेस फ्री एनवायरनमेंट अवेलेबल करना है। गौरतलब है कि 2014 में भी ओटीपीए एग्जाम पैटर्न के तहत गणित, विज्ञान, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान विषयों की परीक्षा तथा इकोनॉमिक्स, बायो तथा जियोग्राफी की परीक्षा सीबीएसई के द्वारा ली गई थी। तथा 2017 में सीबीएसई ने इसे व्यावहारिक नहीं मानते हुए बंद कर दिया था।
डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि ओपन बुक एग्जाम पैटर्न से छात्र पढ़ाई का बोझ महसूस नहीं करेंगे अर्थात छात्रों को तनाव मुक्त माहौल प्रदान करना सीबीएसई की प्राथमिकता है ,लेकिन एक दूसरा पहलू इस एग्जाम पैटर्न का यह भी है कि छात्र ने यदि पढ़ाई को वास्तव में हल्के में ले लिया तो यह भी उसके लिए यह सही नहीं होगा ।क्योंकि वही छात्र प्रश्नों का व्यवहारिक उत्तर लिख पाएगा जो किसी भी विषय को गहराई से समझेगा अर्थात हर विषय का गहन विश्लेषण छात्रों को स्वयं पढ़कर ही करना होगा। वहीं शिक्षकों के लिए भी मूल्यांकन मुश्किल होगा ।ओपन बुक एग्जाम पैटर्न हेतु हमें पर्याप्त मात्रा में ट्रेंड टीचर चाहिए जिनमें पहले से ही प्रॉब्लम सॉल्विंग, क्रिटिकल थिंकिंग स्किल डेवलप्ड हो ।ओपन बुक एग्जाम में प्रैक्टिकल नॉलेज पर आकलन किया जाता है। इसके लिए हमें क्रिएटिविटी से लैस टीचर चाहिए ।जो नए प्रश्न पत्र जो कि कॉन्सेप्ट बेस्ड हो बनाने में माहिर हों। जो बच्चों को नई-नई जानकारियां देते रहें। हमें बच्चों को भी इस परीक्षा प्रणाली हेतु ऐसे ही तैयार करना होगा अर्थात कॉन्सेप्ट बेस्ड लर्निंग प्रोवाइड हमें करनी होगी तभी बच्चा इस परीक्षा में खरा उतरेगा।
मौजूदा सत्र 2024 25 में सीबीएसई के द्वारा ट्रायल के तहत ओपन बुक एग्जाम की चुनौतियां एवं प्रैक्टिकल का टेस्ट किया जाएगा, फिर फैसला लिया जाएगा कि स्कूलों में ओपन बुक एग्जाम करवाए जाएंगे कि नहीं। संभव है अगले सत्र से सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं ओपन बुक कॉन्सेप्ट में ही हो सकती है।
एक खुली किताब परीक्षा छात्रों को परीक्षा हॉल में पर्याप्त संख्या में सामग्री ले जाने की अनुमति देगी। छात्र अपने उत्तर लिखते समय निश्चित रूप से उन संदर्भ सामग्रियों से अंक एकत्र कर सकते हैं। लेकिन यह प्रक्रिया बहुत समय लेने वाली हो सकती है।





























































































































































































































































































